यूआइडीएआइ ने टीडीपी के लिए काम करने वाली एक निजी कंपनी पर आधार डेटा में सेंध लगाने का आरोप लगाया है. वहीं गुजरात में भाजपा विधायक भी दावा कर चुके हैं कि आधार के जरिए वे पता कर लेंगे कि किसने भाजपा को वोट दिया है या नहीं
द मार्जिन टीम

अब तक भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) आधार डेटा में सेंध के आरोपों को खारिज करती रही है. वह कहती रही है कि आधार डेटा पूरी तरह सुरक्षित है. लेकिन अब 12 अप्रैल को यूआइडीआइ ने तेलंगाना के मधापुर पुलिस स्टेशन में खुद एफआइआर करवाते हुए कहा है कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के करीब 7.8 करोड़ लोगों का आधार डेटा अवैध तरीके से आइटी ग्रिड (इंडिया) नामक कंपनी ने जमा किया. आरोप है कि इस कंपनी ने सेवा मित्र ऐप्लीकेशन के लिए आधार डेटा इस्तेमाल किया और यह ऐप कथित तौर पर तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के लिए काम करती है.
यह भी आरोप लगाया गया है कि आइटी ग्रिड कंपनी ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के इन मतदाताओं की वोटर आइडेंटिटी और आधार डेटा को अवैध तरीके से रखा और मतदाताओं की प्रोफाइलिंग के लिए इसका इस्तेमाल किया. यही नहीं कंपनी पर अमेजन वेब सर्विसेज के लिए भी आधार डेटा के इस्तेमाल करने का आरोप है. ऐसे में आशंका है कि भारतीयों के आधार डेटा में विदेशी कंपनियों भी सेंध लगा सकती हैं. जाहिर है, यह यूआइडीएआइ के अपने पहले के दावों के इतर है कि आधार डेटा पूरी तरह सुरक्षित है. वह सुप्रीम कोर्ट में भी ऐसा ही दावा कर चुकी है. लेकिन अब उसी की शिकायत और प्रारंभिक जांच के बाद साफ हो गया है कि आधार डेटा को लेकर लोगों की आशंका बेवजह नहीं हैं.
वहीं गुजरात के फतेहपुरा सीट से भाजपा विधायक रमेश कटारा ने मतदाताओं को धमकाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने बूथों पर कैमरे लगवा दिये हैं. उन्होंने कहा कि किसने भाजपा और किसने कांग्रेस को वोट दिया है यह पता चल जाएगा, आधार कार्ड और अन्य सभी कार्ड पर मतदाताओं की फोटो है तथा कम वोट पड़े तो जो भाजपा को वोट नहीं देंगे उन्हें नौकरी नहीं दी जाएगी. उनका यह दावा भी आधार के जरिए मतदाताओं की प्रोफाइलिंग करने की आशंका को लेकर सवाल उठाता है.
जाहिर है, आखिर यूआइडीएआइ आधार में सेंध को मानने को मजबूर हुआ है. आंध्र प्रदेश के टीडीपी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू ने पहले भाजपा के साथ एनडीए गठबंधन में थे, जो अब उससे अलग हो चुके हैं. अब सवाल उठता है कि अगर यूआइडीएआइ के आरोपों के मुताबिक राज्य की सत्ता में काबिज पार्टी के लिए काम करने वाली आइटी ग्रिड जैसी कोई निजी कंपनी आधार डेटा में जब सेंध लगा सकती है, तो फिर क्या केंद्र सरकार के लिए कैंपेन करने वाली निजी कंपनियां क्या ऐसा कुछ नहीं कर रही हैं? ध्यान देने वाली बात है कि राज्य सरकार की कुछ योजनाओं के अलावा केंद्र सरकार की कुछ योजनाओं में भी लाभार्थियों से आधार डेटा की मांग की जाती है. जाहिर है, खुद यूआइडीएआइ के ताजा आरोपों के बाद आधार डेटा को लेकर एक बार फिर आशंका उठ खड़ी हुई है.