मैनपुरी में महागठबंधन की रैली में 24 साल बाद मायावती और मुलायम सिंह यादव जिस अपनत्व के साथ मिले, वह ऐतिहासिक है. मायावती ने मोदी को ‘नकली’ और मुलायम सिंह को असली ‘पिछड़ा’ का बताकर एक लकीर भी खिंच दी
द मार्जिन टीम

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में 19 अप्रैल को महागठबंधन की रैली में जब मुलायम सिंह यादव मंच पर आए तो उम्र का असर उन पर नजर आ रहा था. उन्होंने धीरे-धीरे ही सही पर मंच से हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन किया. ऐसा लगा कि उनकी उम्र का ख्याल रखते हुए उनके बेटे और सपा प्रमुख अखिलेश यादव उन्हें कुर्सी पर बैठ जाने के लिए आग्रह कर रहे थे. लेकिन मुलायम सिंह यादव ने उपस्थित जनसमूह का अभिवादन करना जारी रखा. अखिलेश ने उनसे दो-तीन बार बैठ जाने या आगे आने का आग्रह किया. ऐसे में बगल में मौजूद बसपा प्रमुख मायावती ने अखिलेश यादव को टोका और मुलायम सिंह यादव को उनकी मर्जी के मुताबिक अभिवादन करने/रहने-देने का आग्रह किया. दोनों नेताओं के बीच अपनत्व और जुड़ाव का यह दिलकश नजारा मैनपुरी के इस मंच पर नजर आया. जाहिर है, यह पुरानी अदावत का सुखद अंत है कि 24 साल बाद मायावती और मुलायम सिंह यादव ने किसी जनसभा को एक मंच से इस तरह संबोधित किया.
इस गठबंधन के जरिए मायावती और अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में दलित तथा पिछड़ी जातियों के बीच एकता की नई इबारत लिखी है. यही वह कोशिश है जिसने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नींद उड़ा रखी है. शायद यही वजह है कि नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक जनसभा में कहा कि उऩके ‘पिछड़ी जाति’ के होने की वजह से उन्हें निशाना बनाया जा रहा है. जाहिर है, इस पिछड़ा कार्ड के जरिए वे पिछड़ी जाति के वोटरों की सहानुभूति हासिल करना चाहते हैं. लेकिन मैनपुरी में अपने संबोधन के दौरान मायावती ने नरेंद्र मोदी को ‘नकली’ और मुलायम सिंह को ‘असली’ पिछड़ी जाति का शख्स बता दिया. उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह असली नेता हैं और जन्मजात पिछड़ी जाति के हैं. उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी की तरह नकली और फर्जी पिछड़े वर्ग के नेता नहीं हैं. उन्होंने यहां तक आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी ने गुजरात का मुख्यमंत्री रहने के दौरान अपनी सत्ता का इस्तेमाल करते हुए अपनी जाति को ओबीसी में शामिल कराया था. मायावती ने कहा कि मोदी ने नकली ओबीसी के नाम पर पिछले लोकसभा चुनाव में वोट मांगा और प्रधानमंत्री बन गए थे. इस तरह से मायावती ने मोदी के पिछड़े कार्ड पर जोरदार हमला बोला और मैनपुरी से मुलायम सिंह यादव को जीत दिलाने की अपील की. इससे पहले मुलायम सिंह यादव ने भी मायावती की तारीफ की और अपने कार्यकर्ताओं तथा लोगों से उनका सम्मान करने के लिए कहा.

जाहिर है, इस मंच से मायावती ने यह संदेश बखूबी दिया कि मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव ही पिछड़ों से असली नेता हैं. उन्होंने अखिलेश यादव को मुलायम सिंह का एकमात्र उत्तराधिकारी भी बताया. जाहिर है, वे न केवल यादव जातियों को एकजुट रहने का संदेश दिया बल्कि अन्य पिछड़ी जातियों को भी संदेश दिया कि मोदी खुद को पिछड़ी जाति का बताकर उन्हें धोखा दे रहे हैं. ऐसे में यह संदेश न केवल उत्तर प्रदेश तक मायने रखता है बल्कि बिहार जैसे राज्यों और राष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण है. हालांकि अपने समर्थन आधार वाली जातियों के अलावा दूसरी जातियों को अपने पाले में करना सपा-बसपा के लिए चुनौतीपूर्ण काम है. लेकिन यह गठबंधन इसकी पुरजोर कोशिश कर रही है. मायावती, अखिलेश यादव और अजित सिंह ने सपा-बसपा-आरएलडी का गठबंधन बनाकर मुख्य रूप से इन्हीं दलित-पिछड़ी जातियों और मुसलमानों को एकजुट करके भाजपा को हराने की रणनीति बनाई है जो पिछली उपचुनावों में कामयाब भी हुई है. इनके समर्थन से ही सपा की टिकट पर लोकसभा उपचुनाव जीतने वाले प्रवीण निषाद भले ही भाजपा में चले गए हैं. लेकिन मैनपुरी की रैली के कुछ ही घंटे के भीतर भाजपा में चली गईं राजमति निषाद, अमरेंद्र निषाद और मछली शहर के भाजपा सांसद को रामचरित्र निषाद को अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी में शामिल कराकर निषाद समुदाय में अपना समर्थन कायम रखने की कोशिश की है. जाहिर है, दलित-यादव-जाट-मुस्लिम समुदाय के साथ-साथ दूसरी पिछड़ी जातियों को भी मायावती-अखिलेश यादव ने पूरी मजबूती के साथ अपने पाले में करने की कोशिश की है. मोदी को फर्जी ओबीसी बताना भी मायावती की इसी रणनीति का हिस्सा नजर आता है. और ऐसा करके मायावती ने मोदी के ओबीसी कार्ड के गुब्बारे में सुई चुभो दी है.