राजस्थान: दलित महिला के साथ गैंगरेप और कांग्रेस सरकार की चुप्पी से उपजे सवाल

    दलित-उत्पीड़न के मामले में राजस्थान हमेशा आगे रहा है. पिछले कांग्रेस शासन में भी दलितों के खिलाफ अत्याचार के बहुत ज्यादा मामले दर्ज हुए थे. राहुल गांधी ऐसे मामलों पर मोदी पर निशाना साधते हैं. पर उन्हीं की सरकार में दलित महिला के साथ बलात्कार की घटना हुई, जिसे प्रशासन ने दबाने की कोशिश की

    सरोज कुमार

    राहुल गांधी के साथ अशोक गहलोत (फोटोः गहलोत का ट्विटर अकाउंट)

    कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 5 अप्रैल, 2016 को राजस्थान में दलित-उत्पीड़न की एक खबर को ट्वीट करते हुए लिखा था कि राज्य में महिलाओं और दलितों का उत्पीड़न भाजपा शासन में तेजी से बढ़ रहा है. रोहित वेमुला, ऊना कांड से लेकर दलित-उत्पीड़न की विभिन्न घटनाओं को लेकर वे भाजपा की केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधते रहे हैं. लेकिन राजस्थान के अलवर में दलित महिला के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना और फिर उसे पुलिस-प्रशासन की ओर से छुपाने की कोशिश ने कांग्रेस के दोहरे रवैये को उजागर कर दिया है. राजस्थान के मुख्यमंत्री 5 मई को जब सोशल मीडिया पर परशुराम जयंती की बधाई दे रहे थे, दूसरी ओर अलवर की इस घटना को लेकर लोग आंदोलित थे.

    क्या है मामला और पुलिस-सरकार का रवैया
    दरअसल, रिपोर्ट्स के मुताबिक, अलवर जिले के थानगाजी इलाके में पति को बंधक बनाकर एक महिला के साथ पांच लोगों ने बलात्कार किया. आरोपियों ने उसका वीडियो भी बना लिया और उसे वायरल करने की धमकी दी. यह घटना 26 अप्रैल की बताई जा रही है लेकिन पीड़ित परिवार डरा हुआ था और फिर आरोप है कि पुलिस ने भी मामले को करीब चार दिन तक दबाए रखा. यह मामला तब खुला जब आरोपियों ने उस वीडियो को वायरल कर दिया. इसके खिलाफ स्थानीय दलित समुदाय में काफी आक्रोश है और वे तत्काल दोषियों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं. वे पुलिस-प्रशासन और सरकार की नीयत पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं. आरोप लग रहा है कि लोकसभा चुनाव की वजह से कथित तौर पर आरोपियों को गिरफ्तार करने में पुलिस तेजी नहीं दिखा रही है. आरोपियों में गुर्जर समुदाय के लोग शामिल हैं.

    इस जघन्य अपराध के आरोपियों को पुलिस अब तक गिरफ्तार नहीं कर पाई है. यहां तक कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी इस मसले पर चुप्पी साध रखी है. ऐसे में सवाल उठता है कि दलित-उत्पीड़न को लेकर राहुल गांधी या कांग्रेस जो आरोप भाजपा या मोदी पर लगाते हैं, वे खुद वैसा ही कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार बनने के बाद जिस तरह आदिवासियों के उत्पीड़न के आरोपी और विवादित अधिकारी एस.आर.पी. कल्लूरी को महत्वपूर्ण पद दे दिया था, उसने भी कांग्रेस के रवैये को उजागर कर दिया था. अब अलवर के इस दलित महिला के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना ने कांग्रेस को एक बार फिर बेनकाब किया है.

    चाहे कांग्रेस सरकार हो या भाजपा, दलित-उत्पीड़न में राजस्थान आगे
    राजस्थान दलित-उत्पीड़न की घटनाओं में हमेशा आगे रहा है. उदाहरण के लिए साल 2012 में जब राज्य में कांग्रेस सरकार थी तो वहां दलितों के खिलाफ 5,559 अपराध हुए थे, संख्या में यूपी के बाद सबसे अधिक थे. यानी संख्या के मामले में राजस्थान दलित-उत्पीड़न में दूसरे नंबर पर था लेकिन अपराध दर के मामले में वह पहले नंबर पर था. इससे पहले साल 2007 में भाजपा शासन में भी राजस्थान ऐसी घटनाओं (4,174) में दूसरे नंबर पर और अपराध दर में पहले नंबर पर था. वहीं राज्य में फिर जब भाजपा सरकार बनीं, तो उसके शासन के दौरान दलितों के खिलाफ साल 2014 में 6,735, साल 2015 में 5,911 और फिर साल 2016 में 5,134 अपराध हुए थे. जाहिर है, कांग्रेस और भाजपा, दोनों सरकारों में वहां ऐसी घटनाएं बहुत ज्यादा दर्ज की गई हैं.

    दलितों में आक्रोश
    केंद्र और राज्य में भाजपा शासन के दौरान दलित-उत्पीड़न की घटनाओं को लेकर राजस्थान के दलित समुदाय में काफी रोष था. कांग्रेस ने भी इसे अपने पाले में करने की पूरी कोशिश की थी. इसी वजह से साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भी राजस्थान के दलितों में भाजपा विरोधी रूझान देखने को मिला था. फलस्वरूप उस चुनाव में भाजपा की हार में उनकी भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. लेकिन लगता है, कांग्रेस इससे कोई सबक नहीं ले रही और राजस्थान में दलित उत्पीड़न की घटनाएं उसके नई सरकार के दौरान भी बदस्तूर जारी हैं. इससे कांग्रेस का दोहरापन तो उजागर हो ही रहा है, लेकिन अगर उसके रवैये में सुधार नहीं आया तो दलित उसे भी सबक सिखाने से नहीं चूकेंगे. दरअसल, राजस्थान में दलित समुदाय अब सामाजिक तौर पर एक नई ऊर्जा और तेवर के साथ आंदोलित होता नजर आ रहा है. यह नया बदलाव अब खामोश रहने वाला नहीं है.