भक्ति मेहरे को पुलिस ने मंगलवार को देर शाम गिरफ्तार कर लिया, बाकि दो डॉक्टर्स को रात में गिरफ्तार किया गया. रिपोर्ट्स के मुताबिक फरार डॉक्टर्स हेमा आहूजा और अंकिता खंडेलवाल ने मुंबई के सेशन कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दी थी.
द मार्जिन टीम

आज 28 मई को देश भर में डॉ. पायल तड़वी के संस्थानिक हत्या के विरोध में सभाएं और प्रदर्शन हुए. दिल्ली में दिल्ली विश्विद्यालय के कला विभाग के पास प्रदर्शन हुए. रिपोर्ट्स के मुताबिक मुंबई के बीवाईएल नायर अस्पताल के हॉस्टल में इस महीने के 22 तारीख को डॉ. पायल तड़वी ने आत्महत्या कर लिया. ऐसा बताया जा रहा है कि पायल अपने तीन सीनियर्स के जातिवादी टिप्पणियों और रैगिंग से बेहद परेशान थी. अस्पताल ने स्त्री-रोग यूनिट की हेड और उन तीन पीजी रेजिडेंट डॉक्टर्स को सस्पेंड कर दिया है.
बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के डिप्टी कमिश्नर ने कहा है कि ये डॉक्टर्स तब तक सस्पेंड रहेंगे जब तक कि जांच पूरी न हो जाए. आरोपी तीन रेजिडेंट डॉक्टर्स के नाम हेमा आहूजा, अंकिता खंडेलवाल, भक्ति मेहरे है. इसमें से भक्ति मेहरे को पुलिस ने देर शाम गिरफ्तार कर लिया. वहीं मंगलवार की रात ही अंकिता खंडेलवाल और हेमा आहूजा को भी गिरफ्तार कर लिया गया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक फरार डॉक्टर्स हेमा आहूजा और अंकिता खंडेलवाल ने मुंबई के सेशन कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दी थी. पुलिस की पूछताछ में पता चला है कि एक व्हाट्सएप्प ग्रुप में आरोपी डॉक्टर्स ने पायल के ऊपर जातिवादी टिप्पणियां की थी. भीम आर्मी के प्रमुख चन्द्रशेखर आजाद ने त्वरित कारवाई की मांग की है. राष्ट्रीय महिला आयोग ने बीवाईएल नायर अस्पताल को नोटिस भेजा है और कारवाई पर आठ दिन के अंदर जवाब मांगा है.
डॉ. पायल तड़वी मुस्लिम आदिवासी समुदाय से आती हैं. उनकी मां कैंसर से पीड़ित रही है. उनके पिता एक क्लर्क है. पायल अपने परिवार से पहली डॉक्टर थी. पायल ने जातिवादी भेदभाव की बात अपने परिवार वालों को बताई थी. पायल की मौत से पांच दिन पहले उसकी मां ने अस्पताल को चिट्ठी लिख पायल के यूनिट को बदलने की मांग की थी. चिट्ठी में अनुसूचित जनजाति से होने की वजह से मिल रहे जातिवादी टिप्पणी और अपमान की बात भी लिखी थी. रिपोर्ट्स के अनुसार पायल इस मामले को ज्यादा बढ़ाना नहीं चाहती थी. उसे यह डर था कि अगर अस्पताल में सभी लोगों उसके अनुसूचित जनजाति से होने का पता चल गया तो उसके लिए और भी मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी. यह हमारे जातिवादी समाज की क्रूरता को दिखाता है कि कैसे लोग अपनी पहचान छुपाने को मजबूर हैं.