प्रेस कांफ्रेंस के दौरान एक लंबे वक़्त तक मोदी चुप बैठे रहे. वह असहज भी दिखे. उस दौरान अमित शाह रिपोर्टरों के सवालों का जवाब दे रहे थे.
अतुल आनंद

पिछले पांच साल में एक बार भी प्रेस कांफ्रेंस न करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में आज अपना पहला प्रेस कांफ्रेंस किया. अपने प्रेस कांफ्रेंस की शुरुआत में मोदी ने हल्के अंदाज में रिपोर्टरों से कहा, “अब काफी लोग बदल गए हैं”. मोदी का इशारा इस बात से था कि वह काफी समय बाद प्रेस कांफ्रेंस कर रहे थे. इस दौरान काफी रिपोर्टर बदल चुके थे.
बिना सवाल, सिर्फ “मन की बात”
हालांकि, इस प्रेस कांफ्रेंस में भी मोदी ने पत्रकारों से सवाल नहीं लिए. मोदी ने सिर्फ अपने “मन की बात” वाली शैली में ही एकतरफा बयान दिए. मोदी ने लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिलने का दावा किया. पत्रकारों से सवाल-जवाब का वक्त आने पर मोदी की जगह भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने सवालों के जवाब दिए. जब एक रिपोर्टर ने मोदी से ही जवाब देने के लिए कहा तो अमित शाह ने बचाव में कहा कि मोदी हर सवाल का जवाब नहीं दे सकते. हालांकि, शाह ने यह भी कहा कि यह लोकसभा चुनाव प्रधानमंत्री को चुनने के लिए है.
“साइलेंस पीरियड” के दौरान प्रेस कांफ्रेंस और “मौन-मोदी”
चुनाव आयोग भाजपा के प्रति रवैये को लेकर पहले ही सवालों के घेरे में आ चुका है. चुनाव आयोग ने राजनेताओं से चुनाव के पहले 48 घंटे के “साइलेंस पीरियड” के दौरान मीडिया से बातचीत न करने का निर्देश दिया था. लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण के चुनाव में जब 48 घंटे से भी कम समय बचा था तब यह प्रेस कांफ्रेंस की गयी. यह भाजपा के उतावलेपन और अभी तक के चुनाव में उसके प्रदर्शन को लेकर निराशा को भी दिखाता है. प्रेस कांफ्रेंस के दौरान एक लंबे वक़्त तक मोदी चुप बैठे रहे. वह असहज भी दिखे. उस दौरान अमित शाह रिपोर्टरों के सवालों का जवाब दे रहे थे. सोशल मीडिया पर मोदी के पहले प्रेस कांफ्रेंस का काफी मजाक उड़ाया गया. मोदी की तुलना कठपुतली से की गयी और उन्हें “मौन-मोदी” कहा गया. कभी पूर्व मनमोहन सिंह की चुप्पी का मजाक उड़ाने वाले मोदी आज शायद खुद को बदतर स्थिति में पा रहे है.
“महामिलावट” से “मल्टी-पार्टी डेमोक्रेटिक सिस्टम” तक
प्रेस कांफ्रेंस में मोदी के साथ ही अमित शाह भी बैकफुट पर दिखे. शाह ने कहा, “2014 में एक ऐसा माहौल बना था कि हमारा पार्लियामेंट्री मल्टी-पार्टी डेमोक्रेटिक सिस्टम देश का कल्याण कर सकता है क्या? देश को आगे ले जा सकता है? आज देश की जनता यह मानती है कि मल्टी-पार्टी डेमोक्रेटिक सिस्टम देश को आगे ले जा सकता है.” भाजपा और मोदी इस लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बसपा-सपा-रालोद महागठबंधन को “महामिलावट” कहते आए हैं. शायद भाजपा को चुनाव में बहुमत मिलता नहीं दिख रहा और विपक्षी पार्टियों से गठबंधन की उम्मीद में भाजपा अध्यक्ष का ऐसा बयान आया है.
उत्तरप्रदेश में भाजपा की बड़ी हार का अंदेशा
डेटा अध्ययन करने वाली वेबसाइट Anthro.ai के हालिया चुनाव पूर्वानुमानों के अनुसार उत्तर प्रदेश में छठे चरण के चुनाव में भाजपा ने एक भी सीटें नहीं जीती है. वहीं इसी वेबसाइट के अनुसार भाजपा के अभी तक के प्रदर्शन के हिसाब से उत्तरप्रदेश में पार्टी 25 से ज्यादा सीटें नहीं जीत पाएगी. दूसरे चुनाव पूर्वानुमानों के अनुसार भाजपा देश के बाकि राज्यों में भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई है. अब यह तो 23 मई को ही पता चल पाएगा कि लोकसभा चुनाव में भाजपा कितनी सीट ला पाएगी. हालांकि, अगर इस प्रेस कांफ्रेंस में भाजपा के शीर्ष नेताओं के हावभाव को देखे तो वह निराशा, उतावलेपन और हार के डर को दिखा रहे हैं.