सिर्फ अलीगढ़ ही नहीं, बीते एक हफ्ते में बेगूसराय से लेकर अहमदाबाद और नासिक तक बच्चियों की हत्या हुई है. वहीं, एनसीआरबी के मुताबिक, नरेंद्र मोदी की सरकार में बच्चों के खिलाफ 80 फीसदी बढ़ गए अपराध
सरोज कुमार
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में ढ़ाई साल की मासूम बच्ची की वीभत्स हत्या ने देश को झकझोर कर रख दिया है. देशभर में लोग इस हत्या पर गुस्सा प्रकट कर रहे हैं. यह मामला चैनलों से लेकर सोशल मीडिया पर भी छाया हुआ है. लेकिन केवल अलीगढ़ ही नहीं, बल्कि बिहार में पटना से लेकर महाराष्ट्र के नासिक तक, देश के विभिन्न इलाकों से मासूम बच्चियों की हत्या की खबरें सामने आ रही हैं. 7 जून को जब पूरे देश में अलीगढ़ की घटना को लेकर हंगामा मचा हुआ था, ठीक उसी दिन बिहार के बेगूसराय में खातोपुर गांव के मोहम्मद शमशाद की 4 साल की बेटी शिफ्त का शव बरामद किया गया. शिफ्त की हत्या करके उसके शव को बोरे में बंद करके फेंक दिया गया था.
इसी तरह पटना के नजदीक बाढ़ा थाना क्षेत्र के ढेलवा गोसाई रोड स्थित लालकोठी में 6 जून को दो मासूम बहनों, 14 वर्षीया दामिनी खातून और 12 वर्षीया दिलखुश खातून का शव बरामद हुआ. पुलिस ने दोनों की रस्सी से गला गबाकर हत्या करने की आशंका जताई है.
बीते एक हफ्ते में बच्चों के खिलाफ अपराध की कई घटनाएं
देश के विभिन्न इलाकों में बीते एक हफ्ते में बच्चों की हत्या, हत्या की कोशिश और बलात्कार के करीब दर्जन भर मामले सामने आए हैं. उत्तर प्रदेश के मेरठ के ब्रह्मपुरी इलाके में भी 7 जून को एक 9 साल की बच्ची का शव मिला. बच्ची 4 जून से ही लापता थी और परिजनों ने पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने कोई गंभीरता नहीं दिखायी और दो दिन बाद कपड़े में लपेटा हुआ बच्ची का शव नाले से बरामद किया गया. उत्तर प्रदेश के ही कानपुर के पनकी थाना क्षेत्र में 2 जून को तिलक समारोह में शामिल होने गई 8 साल की बच्ची के साथ यौन शोषण का मामला सामने आया.
वहीं बिहार के गया के रामपुर थाने के तहत पड़ने वाले गेवालबिगहा में दो गुटों के झगड़े के दौरान 6 जून को महज 7 दिन की मासूम बच्ची की हत्या कर दी गई.
दूसरी ओर मध्य प्रदेश के उज्जैन में 6 जून को एक मजदूर की पांच साल की बच्ची की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई. हत्यारों ने हत्या के बाद ईंट से बच्ची का शव कुचला और उसे शिप्रा नदी में फेंक दिया. बच्ची के परिजन वहां एक ईंट-भट्टे में पिछले छह माह के मजदूरी कर रहे थे और वहीं झोपड़ी बनाकर रह रहे थे.
हरियाणा के करनाल में भी 1 जून को एक सात साल की बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या की कोशिश का मामला सामने आया. तीन आरोपियों ने बलात्कार के बाद बच्ची को ब्लेड से हमला करके जान से मारने की कोशिश की. बच्ची के परिवार वाले वहां एक भट्ठे पर रहते हैं और मजदूरी करते हैं.
राजस्थान के धौलपुर में भी मनियां थाना क्षेत्र के लाडमपुर गांव की 14 वर्षीया किशोरी की हत्या 6 जून को एक युवक ने कथित तौर पर छेड़छाड़ का विरोध करने पर कर दी. एक हैरतअंगेज मामला महाराष्ट्र के नासिक में सामने आया है. नासिक के अदगांव के वृंदावन नगर में 31 मई को एक महिला ने कथित तौर पर अपनी ही 10 दिन की बच्ची की हत्या कर दी. वह कथित तौर पर तीसरी बार भी बेटी होने की वजह से परेशान थी.
सिर्फ बच्चियों ही नहीं, बल्कि इस हफ्ते मासूम बच्चों की भी हत्या के मामले सामने आए हैं. झारखंड के गुमला में बसिया थाना क्षेत्र में 31 मई को एक पिता ने अपने 8 वर्षीय बच्चे की हत्या कर दी. आरोपी पिता ने कथित तौर पर कुल्हाड़ी से काटकर बच्चे की हत्या कर दी थी. कोडरमा में भी एक मामला सामने आया जहां 2 जून को कांको पंचायत के पिंडारो गांव के 5 वर्षीय मयकं गिरी की लाश कुंए से बरामद की गई. परिजनों ने पांच लोगों पर बच्चे की हत्या करने का आरोप लगाया है.

मोदी सरकार में करीब 80 फीसदी बढ़ गए बच्चों के खिलाफ अपराध
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) की साल 2016 की रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश में बच्चों के खिलाफ अपराध के रोजाना करीब तीन सौ घटनाएं घट रही हैं. दरअसल, साल 2016 में देश में बच्चों के खिलाफ अपराध की कुल 1,069,58 घटनाएं घटी थीं. इसी तरह देश में रोजाना औसतन करीब पांच बच्चों की हत्या हो रही है.
वहीं एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2013 में बच्चों के खिलाफ की गई अपराध की कुल 58,224 घटनाएं यानी रोजाना करीब 160 घटनाएं ही घटी थीं. साफ है कि ऐसे मामलों में 2013 के मुकाबले 2016 में करीब 84 फीसदी की वृद्धि हुई है. जाहिर है, नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में बच्चों पर अत्याचार बढ़ा है. 2016 के बाद के एनसीआरबी के आंकड़े सरकार ने अब तक जारी नहीं किए हैं. साल 2014 में जहां ऐसे मामलों की संख्या 89,423 (यानी 2013 के मुकाबले 54 फीसदी ज्यादा) थी तो 2015 में ऐसे 94,172 मामले सामने आए थे.
यही नहीं प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेज ऐक्ट (पोस्को) संबंधित मामलों में भी मोदी सरकार में बहुत ज्यादा वृद्धि हुई है. एनसीआरबी के मुताबिक, 2016 में पोस्को के तहत देश में कुल 36,022 मामले दर्ज हुए, जो पिछले साल के मुकाबले 141 फीसदी ज्यादा हैं. इसके तहत 2015 में कुल 14,913 मामले दर्ज किए गए थे.

बच्चों के साथ बलात्कार के मामले में भी 2016 में करीब 80 फीसदी की वृद्धि हुई है. साल 2016 में ऐसे 19,765 मामले दर्ज हुए थे, तो साल 2015 में इनकी संख्या 10,854 थी. वहीं साल 2013 में बच्चों के साथ बलात्कार के 12,363 तो साल 2014 में यह संख्या बढ़कर 13,766 हो गई थी. जाहिर है, मोदी सरकार का पिछले पांच साल का कार्यकाल बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से सही नजर नहीं आता.