एनसीआरबी की 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश बच्चों के खिलाफ अपराध के मामलों में देश में पहले नंबर पर है. जिस तरह से लगातार बच्चियों की हत्या और बलात्कार के मामले सामने आ रहे हैं, प्रदेश की स्थिति में कोई सुधार होता नजर नहीं आ रहा.
द मार्जिन टीम
उत्तर प्रदेश बच्चियों की हत्या और बलात्कार के मामलों को लेकर एक बार फिर सुर्खियों में है. अलीगढ़, हमीरपुर, जालौन से लेकर कानपुर तक बच्चियों पर वीभत्स अपराध किए जाने की खबरें आ रही हैं. प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 10 जून को पुलिस अधिकारियों के साथ इन मामलों को लेकर बैठक की और उन्हें सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए. लेकिन लगातार ऐसी घटनाओं ने उनकी सरकार और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं. इतना ही नहीं, योगी के सामने प्रदेश को बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से बहुत खराब राज्य होने के तमगे से भी अलग करने की चुनौती है.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों को देखें तो उत्तर प्रदेश बच्चों के खिलाफ अपराध के मामले में पूरे देश में सबसे खराब स्थिति में है. एनसीआरबी की 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश बच्चों के खिलाफ अपराध के मामले में पहले पायदान पर है. और इस मामले में उसने महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश को 2016 में पीछे छोड़ दिया है. 2016 के आंकड़े एनसीआरबी की सबसे हालिया रिपोर्ट है. इसके बाद के किसी भी साल के रिपोर्ट सरकार ने अब तक जारी नहीं किए हैं.

एनसीआरबी 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 में उत्तर प्रदेश में बच्चों के खिलाफ किए गए कुल 16,079 मामले दर्ज किए गए, जो देश में सबसे ज्यादा थे. इससे एक साल पहले (2015 में) उत्तर प्रदेश में ऐसे 11,420 मामले ही दर्ज किए गए थे. साल 2015 में ऐसे सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में दर्ज किए गए थे, तो 2014 में मध्य प्रदेश में. वहीं 2014 में ऐसै 14,835 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर पर था. जाहिर है, इस दौरान उत्तर प्रदेश ऐसे शर्मनाक अपराध के मामलों में दूसरे नंबर से पहले नंबर पर आ गया है. और जिस तरह लगातार बच्चों पर अत्याचार की घटनाएं सामने आ रही हैं, इस स्थिति में कोई सुधार होता नजर नहीं आ रहा.
बच्चों की हत्या और रेप के मामले में भी यूपी आगे
बच्चों के खिलाफ कुल अपराध के अलावा उनकी हत्या के मामलों में भी उत्तर प्रदेश सबसे खराब राज्य है. एनसीआरबी 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक, 513 बच्चों की हत्या के साथ उत्तर प्रदेश इस मामले में देश में पहले नंबर है. वह लगातार कई वर्षों से इस मामले में सबसे बदतर राज्य बना हुआ है. 2016 में महाराष्ट्र इस मामले में दूसरे नंबर पर तो मध्य प्रदेश तीसरे नंबर पर था. हालांकि, बच्चों के साथ रेप के मामले में उत्तर प्रदेश थोड़े सुधार के साथ 2,115 मामलों के साथ तीसरे नंबर पर है. बलात्कार के मामले में कुख्यात राज्य मध्य प्रदेश बच्चों के रेप के मामले में पहल नंबर पर है. एनसीआरबी के मुताबिक, 2016 में बच्चों के साथ रेप की 2,476 मामलों के साथ मध्य प्रदेश इस मामले में सबसे आगे है, तो महाराष्ट्र 2,292 मामलों के साथ दूसरे पायदान पर. जाहिर है, इन राज्यों ने बच्चों के खिलाफ अपराध में सबसे आगे होने का बहुत खराब तमगा बांध रखा है.

उत्तर प्रदेश के ये आंकड़े प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार आने के पहले के हैं. लेकिन मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के ये आकंड़े भाजपा सरकार के दौरान के हैं. 2017 विधानसभा चुनावों से पहले उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (2012-17) तो उससे पहले बहुजन समाज पार्टी (2007-12) की सरकार थी. लेकिन उत्तर प्रदेश में 2017 में भाजपा सरकार आने के दौरान भी हालात बेहतर नहीं हुए हैं. अब भले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कानून व्यवस्था में सुधार और सख्ती का दावा कर रहे हों, लेकिन जिस तरह से लगातार ऐसे जघन्य वारदात सामने आ रहे हैं, प्रदेश की कानून व्यवस्था औऱ बच्चों की सुरक्षा को लेकर कोई सुधार होता नजर नहीं आ रहा.
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