“हमें इतिहास में पढ़ाया गया था कि चोल राजा का शासनकाल एक सुनहरा युग था, लेकिन कई समाज सुधारकों के अनुसार वह समय वंचित जातियों के लिए अंधकार-युग था क्योंकि उनकी अधिकतर जमीनें राजा ने छीन ली थी”, फिल्मकार पा रंजीत ने अपनी याचिका में कहा
द मार्जिन टीम

मद्रास हाई कोर्ट में फिल्मकार पा रंजीत की अग्रिम जमानत की याचिका पर कल सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि पुलिस पा रंजीत को गिरफ्तार नहीं करेगी. मामला चोल राजा के खिलाफ पा रंजीत के कथित अपमानजनक टिप्पणी का था. कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 19 जून को रखी है.
कोर्ट ने पुलिस को इस मामले में पा रंजीत की याचिका का जवाब भी देने को कहा है. पा रंजीत के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से दिया बयान) और 153 (अ) (नफरत फ़ैलाने) के तहत मामला दर्ज हुआ था. हिंदू मक्कल काची नाम के संगठन द्वारा दायर एक शिकायत के आधार पर रंजीत के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. शिकायत में कहा गया था कि पा रंजीत के भाषण का उद्देश्य विभिन्न जातियों के लोगों को बांटना था.
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीते पांच जून को दलितों के लिए काम करने वाले नीला पुलिगल इयाक्कम नामक संगठन के संस्थापक उमर फारूक के मृत्यु-दिवस के मौके पर आयोजित एक सभा में पा रंजीत ने यह बयान दिया था. जबकि, द हिंदू की एक रिपोर्ट का में कहा गया है कि रंजीत ने यह टिप्पणी ब्लू पैंथर्स पार्टी द्वारा इस महीने की शुरुआत में आयोजित एक बैठक में की थी.
फिल्मकार पा रंजीत मद्रास, कबाली और काला जैसे महत्वपूर्ण फिल्मों के लिए जाने जाते हैं. अपनी याचिका में पा रंजीत ने कहा है कि वह एक वंचित तबके के परिवार से फिल्मकार बने है और वह संविधान में जिस समानता की बात की गयी है उसके बारे में जागृति फैलाते रहे है.
पा रंजीत ने अपनी याचिका में यह भी कहा कि उन्होंने चोल राजा के बारे में सिर्फ कुछ ऐतिहासिक तथ्यों को रखा था जिसे लोगों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना समझा जा रहा है.
उन्होंने कहा, “हमें इतिहास में पढ़ाया गया था कि चोल राजा का शासनकाल एक सुनहरा युग था, लेकिन कई समाज सुधारकों के अनुसार वह समय वंचित जातियों के लिए अंधकार-युग था क्योंकि उनकी अधिकतर जमीनें राजा ने छीन ली थी.”
फिल्मकार पा रंजीत ने अपने भाषण में कहा था कि चोल राजा ने अपने शासन के दौरान 400 से भी अधिक औरतों को “देवदासी” बना दिया था और उनमें से 26 औरतों को कोलार फील्ड्स भेज दिया गया था. हिन्दू धर्म की “देवदासी” प्रथा में औरतों को जबरन वेश्यावृति में धकेला जाता रहा है. उनमें से अधिकतर महिलाएं दलित और शुद्र जातियों से आती हैं.
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