आयुष्मान खुराना और अनुभव सिन्हा ने हाल में ब्राह्मण समुदाय से अपने कनेक्शन को प्रदर्शित किया है. यह दिखाता है कि दरअसल जातिगत भेदभाव के खिलाफ और दलितों के समर्थन संबंधी उनके बयान महज फिल्म के प्रमोशन का हिस्सा भर हैं.
द मार्जिन टीम

आयुष्मान खुराना अभिनीत अनुभव सिन्हा की फिल्म आर्टिकल 15 इन दिनों काफी चर्चा में है. कई समीक्षक फिल्म की तारीफ कर रहे हैं कि यह फिल्म जातिगत भेदभाव और उसकी व्यवस्था पर प्रहार करती है. आयुष्मान खुराना भी फिल्म के प्रमोशन संबंधी कुछ इंटरव्यू में दलितों के प्रति समर्थन जताते और जाति व्यवस्था के खिलाफ बोलते नजर आए हैं. लेकिन आयुष्मान खुराना और अनुभव सिन्हा के हाल के बयानों से इसका विरोधाभासी संकेत मिलता है.
आयुष्मान खुराना ने एनडीटीवी के एक इंटरव्यू में फिल्म के खिलाफ ब्राह्मणों की नाराजगी पर सवाल पूछे जाने पर कहा कि फिल्म का विरोध कर रहे ब्राह्मणों को देखना चाहिए कि इसका हीरो भी ब्राह्मण है. उन्होंने कहा कि ब्राह्मण समुदाय का कोई आदमी चेंज लाने की कोशिश कर रहा है और उन्हें इस पर गर्व करना चाहिए.
इसी तरह निर्देशक और लेखक अनुभव सिन्हा ने नाराज ब्राह्मणों को (अंतरराष्ट्रीय ब्राह्मण महासंघ) संबोधित अपने पत्र में लिखा है कि फिल्म में ब्राह्मणों का कोई निरादर नहीं किया गया है. उन्होंने यह भी लिखा है, “आपको यह जानकर हर्ष होगा कि फिल्म में मेरे कई साथी ब्राह्मण हैं और कई कलाकार भी. कोई कारण नहीं है कि ब्राह्मणों का निरादर किया जाए. वैसे मेरी पत्नी भी ब्राह्मण हैं सो मेरे पुत्र के अस्तित्व में भी ब्राह्मण समाते हैं.”

जाहिर है, आयुष्मान खुराना और अनुभव सिन्हा ने जिस तरह ब्राह्मण समुदाय से सगर्व अपना कनेक्शन प्रदर्शित किया है, वे फिल्म के बिजनेस में किसी तरह की रूकावट नहीं चाहते हैं. लेकिन इसके साथ ही वे जाति व्यवस्था की अवधारणा को मजबूत करते और उसके पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं. इससे उनके ‘कास्ट लोकेशन’ का संकेत मिलता है. इससे यह भी संकेत मिलता है कि दलितों के प्रति समर्थन और जातिगत भेदभाव की व्यवस्था के खिलाफ उनके वक्तव्य महज फिल्म प्रमोशन का हिस्सा भर है. इससे उन्हें एक बड़ा टारगेट दर्शक जो मिल सकता है. ब्राह्मण महासंघ जैसे संगठन के विरोध से उनकी फिल्म को पब्लिसिटी भी मिल सकती है. अब तो अनुभव सिन्हा ने अंतरराष्ट्रीय ब्राह्मण महासंघ के पंकज जोशी का पत्र भी यह लिखते हुए शेयर किया है कि ‘अब तो ही झंडी भी मिल गई.’ जाहिर है, यह सब उनकी फिल्म के बिजनेस से जुड़ा मामला है और इसे उसी रूप में देखा जाना चाहिए.
एक सवाल यह भी उभरता है कि जिस तरह से अनुभव सिन्हा फिल्म से जुड़े अपने ब्राह्मण साथियों और कलाकारों का जिक्र कर रहे हैं, क्या वे बताएंगे कि उस टीम में कितने दलित-वंचित शामिल हैं? जाहिर तौर पर बॉलीवुड दलितों के लिए और ज्यादा भयंकर रूप से पहुंच से बाहर रहा है. ऐसे में बड़ी बात तो यह होती कि अनुभव सिन्हा अपनी टीम के दलित सदस्यों के बारे में बताते क्योंकि अपनी फिल्म के जरिये तो ये लोग बदलाव की बात कर रहे हैं. या फिर उनकी टीम में कोई दलित है ही नहीं?
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