बिहार: प्रेम प्रसंग में घर छोड़कर भागने वालों की संख्या में 37 गुणा वृद्धि

बिहार पुलिसे के आंकड़े के मुताबिक, प्रेम प्रसंग की वजह से घर छोड़कर भागने वालों की संख्या में साल 2010 से 2018 के बीच करीब 37 गुणा वृद्धि हुई है. इस साल भी इनमें 39 फीसदी की वृद्धि नजर आ रही है.

सरोज कुमार

बकौल आलोक धन्वा, “घर की ज़ंजीरें, कितना ज़्यादा दिखाई पड़ती हैं, जब घर से कोई लड़की भागती है.” उत्तर प्रदेश के बरेली के बिथरी से विधायक राजेश कुमार मिश्रा की बेटी साक्षी और दलित युवक अजितेश के प्रसंग ने समाज-परिवार की इन जंजीरों को एक बार फिर जाहिर कर दिया है. कथित उच्च जातियों के लोगों, खासकर ब्राह्मण इससे बहुत ज्यादा चिढ़े हुए हैं. मीडिया के जरिए साक्षी और अजितेश के खिलाफ ‘दुष्प्रचार’ करने की कोशिश की जा रही है. यहां तक कि रिपोर्टों के अनुसार कल इलाहाबाद हाई कोर्ट में अजितेश और साक्षी पर कुछ लोगों ने हमला भी किया. नोएडा पुलिस, जो इस जोड़े को पुलिस संरक्षण दे रही है, ने समय रहते उन्हें बचाया. हमले की छानबीन चल रही है. इसके पहले सोमवार को कोर्ट ने इनके विवाह को वैध ठहराया था.

स्पष्ट है कि ऐसे रूढ़िवादी लोग प्रेम में ‘भागी हुई’ लड़कियों के दमन में कोई कसर नहीं छोड़ रहे. लेकिन बिहार का एक आंकड़ा संकेत करता है कि रूढ़िवादियों के ऐसे तमाम विरोध और खतरों के बावजूद लड़के-लड़कियां प्रेम में ‘भाग’ रहे हैं. बिहार पुलिसे के आंकड़े के मुताबिक, प्रेम प्रसंग की वजह से घर छोड़कर भागने वालों की संख्या में साल 2010 से 2018 के बीच करीब 37 गुणा वृद्धि हुई है. इस आंकड़े के मुताबिक, साल 2010 में सिर्फ 82 लोग प्रेम की वजह से घर छोड़ कर भागे थे. यह संख्या 2018 में 3,017 हो गई है.

दरअसल, बिहार पुलिस हर साल अपहरण के मामलों के खुलासों का आंकड़ा जारी करती है. उसमें वह बताती है कि उसकी जांच के आधार पर किन मामलों में क्या वजह निकली. इसी कड़ी में पुलिस यह भी बताती है कि अपहरण के ऐसे कितने मामले दर्ज हुए जो दरअसल प्रेम प्रसंग में घर छोड़कर भागने के मामले थे. मसलन, साल 2018 में 39 फिरौती के लिए अपहरण के वारदात को छोड़ दें तो अन्य प्रकार के अपहरण के कुल 10,310 मामले दर्ज हुए. और इनमें से 3,017 मामले प्रेम प्रसंग में घर छोड़कर भागने से जुड़े थे. जाहिर है, ऐसे मामलों में अमूमन परिजन दूसरे पक्ष पर अपहरण का मामला दर्ज करा देते हैं. हालांकि, इसमें यह सूचना नहीं है कि प्रेम प्रसंग में भागने वालों में कितने बालिग या कितने नाबालिग थे. यह भी सूचना नहीं है कि ये किन-किन समुदायों के थे.

लेकिन प्रेम की वजह से घर से भागने वालों की इस तेजी से बढ़ती संख्या बहुत कुछ बयान करती है. इससे संकेत मिलता है कि तमाम दबावों के बावजूद किस तरह लोग प्रेम के लिए खतरे उठा रहे हैं. हाल के वर्षों में भी इनमें जबरदस्त वृद्धि देखी गई है. साल 2016 में जहां प्रेम प्रसंग में घर छोड़कर भागने वालों की संख्या 1,583  थी, जो साल 2018 में बढ़कर 3,017 हो गई यानी इस दौरान इसमें करीब दोगुणा (91 फीसदी) की वृद्धि हुई है. इस साल यानी 2019 में भी पिछले साल के मुकाबले इनमें फिलहाल 39 फीसदी की वृद्धि नजर आ रही है. बिहार पुलिस के वेबसाइट पर इस साल अभी अप्रैल तक के ही आंकड़े उपलब्ध हैं. साल 2018 में अप्रैल तक प्रेम प्रसंग में घर से भागने वाले लोगों की संख्या 898 थी, वहीं अप्रैल, 2019 तक इनकी संख्या 1,247 हो गई है. जाहिर है, ‘प्रेम के पंछियों’ को विभिन्न प्रकार की बेड़ियां और दबाव भी रोक नहीं पा रहे हैं. ये समाज-परिवार की परवाह किए बगैर खतरे उठा रहे हैं और प्रेम के लिए ‘भाग’ ऱहे हैं.

(अपने सुझाव या लेख contact@themargin.in पर भेजें)