सरकार ने 8 जुलाई को लोकसभा में बताया कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में सामान्य के 30 फीसदी, एससी के 46 फीसदी, एसटी के 51 फीसदी तो ओबीसी के 52 फीसदी शिक्षकों के पद रिक्त हैं. सरकार ने कहा कि उसने यूजीसी से इन रिक्त पदों को जल्दी भरने का निर्देश दिया है.
सरोज कुमार

लोकसभा में एक सवाल के जवाब में 8 जुलाई को केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने बताया कि देश के 41 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 6,911 टीचिंग (शिक्षक) और 13,112 नॉन-टीचिंग पद रिक्त हैं. इन विश्वविद्यालयों में कुल 18,288 टीचिंग और 37,453 नॉन-टीचिंग पद स्वीकृत हैं. यानी देशभर में केंद्रीय विश्वविद्यालयों में करीब 38 फीसदी टीचिंग और 35 फीसदी नॉन-टीचिंग पद रिक्त हैं. लेकिन लोकसभा में पेश किए गए सरकार के इन आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के रिक्त पदों का आंकड़ा सामान्य वर्ग से कहीं ज्यादा है.

दरअसल, सरकार ने जो आंकड़े पेश किए उसके मुताबिक, सामान्य वर्ग के कुल 11,998 स्वीकृत टीचिंग पदों में से 3,554 पद (29.62%) रिक्त हैं. दूसरी ओर एससी, एसटी और ओबीसी में इससे कहीं ज्यादा प्रतिशत रिक्त पद हैं. स्वीकृत टीचिंग पदों में एससी के 46 फीसदी, एसटी के 51 फीसदी तो ओबीसी के 52 फीसदी पद रिक्त हैं. इससे जाहिर है कि इन तीनों समुदायों के पदों को बड़ी संख्या में (करीब 50%) रिक्त रखा गया है.
हालांकि, सरकार (यूजीसी) विश्वविद्यालयों में इन पदों का आंकड़ा अपनी सालाना रिपोर्ट में जारी करती है लेकिन ओबीसी के पदों का स्पष्ट आंकड़ा उसमें नजर नहीं आता. अब लोकसभा में सरकार के जवाब से स्पष्ट है कि भरे गए टीचिंग पदों में ओबीसी की भागीदारी बहुत कम है, जो एससी पदों के आसपास है. दरअसल सरकार के जवाब के मुताबिक, इन 41 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 1,127 एससी, 493 एसटी तो 1,155 ओबीसी समुदाय के शिक्षक हैं. अगर सामान्य पदों को देखें तो 8,444 सामान्य टीचिंग पदों को भरा गया है, यानी इन सभी को मिलाकर 11,219 टीचिंग पदों को भरा गया है. इसमें सबका प्रतिशत निकालें तो सामान्य करीब 75.3 फीसदी, एससी 10 फीसदी, एसटी 4.4 फीसदी और ओबीसी महज 10.3 फीसदी ही हैं. जाहिर है, टीचिंग पदों पर वंचित समुदायों के शिक्षकों की संख्या उनकी आबादी और आरक्षण से काफी कम है.


केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री ने लोकसभा में यह भी कहा कि सरकार ने यूजीसी को रिक्त पदों को जितनी जल्दी हो सके भरने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने एससी, एसटी, ओबीसी और विकलांग समुदायों की आरक्षण नीति को लागू करने, आरक्षण रोस्टर को विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर दिखाने, इन आरक्षित वर्गों के बैकल़ॉग पदों को भी भरने का निर्देश दिया है. लेकिन इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार अपने पिछले कार्यकाल में आरक्षित पदों को भरने में पिछली यूपीए सरकारों की भांति ही नाकाम रही है.
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